4.1 यूरोप में विश्वयुद्ध की समाप्ति

 

 

ब हम इम्फाल, कोहिमा से लेकर रंगून और सिंगापुर तक के घटनाक्रमों में व्यस्त थे, तब यूरोप में और जापान में कुछ बहुत ही महत्वपूर्ण घटनायें घट रहीं थीं। हम दो अध्यायों में इनके बारे में जानेंगे और फिर, वापस सिंगापुर आ जायेंगे, जहाँ से हमारे नेताजी अपनी रहस्यमयी विमान यात्रा प्रारम्भ करने वाले हैं।

 

यूरोप में ‘डूम्स-डे’

नवम्बर 1942।

उत्तरी अफ्रिका।

जेनरल बरनार्ड मोण्टगुमरी के नेतृत्व में मित्र राष्ट्र की सेना (संयुक्त सेना) जेनरल इरविन रोमेल के नेतृत्व वाली नाजी सेना (अफ्रिका कॉर्प्स) की बढ़त को रोक देती है।

13 मई 1943 को रोमेल के 2,75,000 जर्मन और इतावली सैनिक आत्म-समर्पण करते हैं। उत्तरी अफ्रिका में युद्ध समाप्त हुआ- अब मित्र राष्ट्र के ये सैनिक यूरोप में (जर्मनी के खिलाफ) धावा बोलने के लिए तैयार हो रहे हैं।

यूरोप के पश्चिम में ब्रिटिश और अमेरिकी नौसेनाओं ने अटलाण्टिक महासागर के जलमार्गों पर नियंत्रण पा लिया है- इस प्रकार फ्राँस के नॉर्मण्डी के समुद्री-किनारों पर मित्र राष्ट्र के सैनिकों के उतरने के लिए रास्ता साफ हो गया है।

पूर्व में ’43-’44 की सर्दियों में 6ठी जर्मन सेना के 5,00,000 सैनिकों को मार गिराते हुए सोवियत सेना ने लेनिनग्राद (अब सेण्ट पीटर्सबर्ग) और स्तालिनग्राद (अब वोल्गोग्राद) की घेरेबन्दी को तोड़ दिया है और अब सोवियत सेना धीरे-धीरे जर्मनी की ओर बढ़ रही है।

संयुक्त सेना के बमवर्षक विमान जर्मनी पर अन्धाधुन्ध बमबारी करते हैं। इस बमबारी में 75,000 बच्चों सहित 6,00,000 नागरिक मारे जाते हैं।

6 जून 1944।

फ्राँस में नॉर्मण्डी का किनारा।

मित्रराष्ट्र का ऑपरेशन ‘नेपच्यून’ या ‘ओवरलॉर्ड’।

डेढ़ लाख अमेरिकी, कनाडाई और ब्रिटिश सैनिक तट पर उतरते हैं- हिटलर के खिलाफ ‘दूसरा मोर्चा’ खोलने के लिए। इस दूसरे मोर्चे के लिए स्तालिन लम्बे समय से अनुरोध कर रहे हैं। विश्वयुद्ध के सबसे बड़े सैन्य अभियानों में से यह एक है। इतिहास में इस दिन को ‘डूम्स-डे’ या ‘डी-डे’ के नाम से जाना जाता है।

बदले में नाजी सेना संयुक्त शक्तियों के खिलाफ ‘सम्पूर्ण युद्ध’ (Total War) की घोषणा करती है।

20 जुलाई 1944।

हिटलर को बम से उड़ाने का प्रयास होता है, मगर वे बच जाते हैं- उनके शरीर पर मामूली पक्षाघात का असर होता है। 1 फील्डमार्शल तथा 22 जेनरल इस षडयंत्र में शामिल हैं। इनके साथ-साथ कई हजार लोगों को हिटलर मौत के घाट उतरवा देते हैं। नेताजी के जर्मन मित्र एडमिरल कैनरिस भी इनमें से एक हैं।

25 जुलाई।

‘ऑपरेशन कोबरा’।

संयुक्त सैनिक नॉर्मण्डी से कूच आरम्भ करते हैं।

अगले आठ महीनों में, यानि मार्च 1945 तक, वे फ्लोरेन्स, पेरिस, मार्सिलिज, पिसा, एण्टीवर्प/ब्रुसेल्स, ली-हार्वे, बोलोग्ना, कैलाइस, एथेन्स, बेलग्रेड, आचेन, इत्यादि नगरों को नाजियों से मुक्त कराते हुए जर्मनी में राईन नदी के किनारे तक पहुँच जाते हैं।

उधर पूरब से बुखारेस्ट, एस्तोनिया, युगोस्लाविया, वार्सा, वियेना में नाजियों को हराते हुए सोवियत सेना की अग्रिम टुकड़ियाँ 30 जनवरी’45 को ही बर्लिन से 70 किलोमीटर दूर ऑडर नदी के किनारे तक पहुँच चुकी है।

23 अप्रैल को सोवियत सेना बर्लिन में प्रवेश कर जाती है।

दो मोर्चों के बीच नाजी हिटलर का पतन तय है।

और इसी के साथ यूरोप में द्वितीय विश्वयुद्ध समाप्ती की ओर अग्रसर है... ।

 

फासीवादी मुसोलिनी का अन्त

यूँ तो 1943 में ही 25 जुलाई को बेनितो मुसोलिनी की फासिस्ट सरकार को उखाड़ फेंका गया था और 26 को मार्शल बैडॉगलियो ने इटली में मार्शल लॉ लागू कर दिया था। मगर हिटलर की नाजी सेना 10 सितम्बर को रोम में प्रवेश कर गयी थी और 23 को मुसोलिनी ने फिर से उत्तरी इटली में फासिस्ट सरकार की घोषणा कर दी थी।

डी-डे के दो दिनों पहले (4 जून’44) रोम पर संयुक्त सेना का अधिकार हो जाता है।

27 अप्रैल 1945।

मुसोलिनी एक जर्मन ट्रक के पीछे बैठकर भागने की कोशिश कर रहे हैं। वे जर्मन ओवरकोट तथा हेलमेट पहने हुए हैं। मगर लाल धारियों वाली फासिस्ट अधिकारियों की पैण्ट से वे पहचान लिये जाते हैं। लोग उन्हें पकड़कर कोमो एरिया ले जाना चाहते हैं। इसी क्रम में वे मेजेग्रा में रुकते हैं। उन्हें बैण्डेज बाँधकर छुपा दिया गया है। उनकी पत्नी क्लारा को भी यहीं लाया जाता है।

अगली सुबह- 28 अप्रैल।

देशभक्त गुरिल्लों के नेता मुसोलिनी और क्लारा से कहते हैं कि बाहर इन्तजार कर रही कार में बैठने के लिए वे तैयार हों- उन्हें कोमो एरिया ले जाया जायेगा। मगर भवन के गेट के बाहर कार से निकालकर दोनों की हत्या कर दी जाती है।

उनके शवों को मिलान लाया जाता है।

मिलान में मुसोलिनी, उनकी पत्नी क्लारा तथा मुसोलिनी के पन्द्रह अन्य फासिस्ट साथियों के शवों को प्रदर्शन के लिए रखा जाता है- उल्टा लटकाकर।

इस प्रकार, एक फासिस्ट- एक तानाशाह- का जनता के हाथों अन्त होता है।

अब बारी हिटलर की है। ...

 

नाजीवादी हिटलर का अन्त

एडोल्फ हिटलर, जो प्रथम विश्वयुद्ध में जर्मन सेना में एक साधारण सिपाही- एक कॉर्पोरल- एक रनर- थे, परिस्थितियों की लहरों की सवारी करते हुए जर्मनी के चान्सलर बन बैठे। (प्रथम विश्वयुद्ध के बाद जर्मनी पर जो बन्दिशें लगायी गयी थीं, उनसे जर्मन जनता में असन्तोष था- हिटलर ने इस असन्तोष का फायदा उठाया और स्वाभिमान के नाम पर जर्मनों को एक दूसरे विश्वयुद्ध के लिए तैयार कर लिया।)

जर्मन नस्ल दुनिया की बेहतरीन नस्ल है और कमजोर नस्लों को जीने का अधिकार नहीं है- कुछ ऐसी ही मान्यताओं के चलते हिटलर ने लाखों लोगों को मरवा दिया। (हिटलर का मानना था कि जर्मन लोग मानव सभ्यता का श्रेष्ठ समाज आर्य के वंशज हैं।)

20 जनवरी 1942।

सोवियत सीमा पर चल रहे युद्ध को ‘विराम’ देकर हिटलर अन्तिम समाधान (Final Solution - Endlosung) का आदेश देते हैं, जिसके तहत गेस्टापो द्वारा नियंत्रित यातना शिविरों में बड़ी संख्या में लोगों को मारा जाता है। इतिहास में इस जनसंहार को हॉलोकास्ट के नाम से जाना जाता है। इसमें 60,00,000 यूरोपीय यहूदी (इनमें जर्मन यहूदी 1,25,000 हैं, बाकी पोलैण्ड और सोवियत संघ के हैं); 5,00,000 जिप्सी; 10,000 से 25,000 समलिंगी; 2,000 जेहोवा के अनुयायी; 35,00,000 गैर-यहूदी पोलैण्डवासी; 35,00,000 से 60,00,000 के बीच स्लाव नागरिक; 40,00,000 सोवियत युद्धबन्दी, और प्रायः 15,00,000 राजनीतिक विरोधी शामिल हैं। इन मारे गये लोगों की हड्डियों, बालों, इत्यादि का व्यवसायिक इस्तेमाल किया जाता है।

जनवरी 1945।

‘हॉलोकास्ट’ के तीन साल बाद। स्तालिन का ऑपरेशन ‘बागरेशन’। 

नाजी सैनिकों को हराते हुए सोवियत संघ की लाल सेना (रेड आर्मी) के सैनिक जर्मनी में प्रवेश कर रहे हैं। उनका नारा है- कोई दया नहीं दिखानी है। उन्होंने हवा बोया है, अब बवण्डर काटेंगे। बहुत थोड़े लोगों को माफ किया जाता है।

सोवियत सैनिक 20,00,000 जर्मन महिलाओं को अपनी हवस का शिकार बनाते हुए जर्मनी में आगे बढ़ते हैं। गैर-अनुशासित सोवियत सैनिकों की यह करतूत इतिहास में सबसे बड़े सामूहिक बलात्कार की घटना के रुप में दर्ज है। जब स्तालिन को बताया गया कि लाल सेना के सैनिक ऐसा कर रहे हैं, तो जैसा कि बताया जाता है- स्तालिन का जवाब था- ‘हम अपने सैनिकों को बहुत ज्यादा भाषण पिलाते हैं, उन्हें कुछ अपने मन से भी करने दिया जाय।’

22 अप्रैल 1945।

युद्ध की स्थिति का आकलन करने वाली एक बैठक में हिटलर को सूचित किया जाता है कि जर्मनी युद्ध हार जायेगा- वे पस्त हो जाते हैं।

हिटलर अपने डॉक्टर वार्नर हास से आत्महत्या का नुस्खा पूछते हैं। उन्हें सायनाइड की खुराक के साथ बन्दूक की गोली का सुझाव दिया जाता है।

25 अप्रैल 1945।

सोवियत सैनिकों ने बर्लिन को घेर लिया है। अब यह शहर रीख का चितास्थल बनने वाला है। गली-गली में कब्जे के लिए लड़ाई चल रही है। इनफैण्ट्री की फायरिंग के साथ-साथ अर्टिलरी डिवीजन जबर्दस्त बमबारी कर रहे हैं। 21 अप्रैल से 2 मई के बीच 10,80,000 गोले बर्लिन पर बरसाये जाते हैं। विमानों से बमवर्षा अलग ही हो रही है। सारा नगर खण्डहर में तब्दील हो गया है। सोवियत टैंक बर्लिन की सड़कों पर उतरते हैं- हालाँकि शुरुआत में 800 टैंक नष्ट भी होते हैं।

नगर में 35,00,000 नागरिक क्रॉस-फायरिंग में फँसे हुए हैं। बर्लिन की इस लड़ाई में 1,10,000 जर्मन सैनिक मारे जाते हैं, 1,34,000 को बन्दी बनाया जाता है और 1,30,000 जर्मन महिलाओं का बलात्कार होता है।

28 अप्रैल।

हिटलर को खबर मिलती है- उनके साथी बेनितो मुसोलिनी को मार डाला गया है और लोग उनकी लाश को उल्टा लटकाकर पीट रहे हैं। दूसरी खबर भी आती है कि उनके एक सेनापति हेनरिक हिमलर शान्ति समझौता के लिए प्रयास कर रहे हैं। हिटलर की नजर में यह धोखा है।

उन्हें हिमलर द्वारा भेजवाये गये सायनाइड के कैप्सूल पर सन्देह होता है और डॉ. हास से वे कहते हैं कि कैप्सूल को उनके कुत्ते ब्लौंडी पर आजमाया जाय। कुत्ता मर जाता है। 

28-29 अप्रैल की रात।

फ्यूहरर-बंकर के एक कमरे में एक सादे समारोह में हिटलर अपनी प्रेमिका ईवा से विवाह रचाते हैं और इसके बाद एक छोटा-सा भोज देते हैं। भोज के बाद सचिव ट्राउड जंग के साथ दूसरे कमरे में जाकर वे वसीयत को अन्तिम रुप देते हैं। 04:00 बजे हस्ताक्षर करके वे बिस्तर पर जाते हैं।

ईवा से उनकी यह शादी 40 घण्टों तक रहती है।

30 अप्रैल।

सोवियत सैनिक हिटलर के बंकर से 500 मीटर दूर हैं। बर्लिन डिफेन्स एरिया के कमाण्डर जेनरल हेलमुट वेडलिंग के साथ हिटलर बैठक करते हैं- कमाण्डर सूचित करते हैं कि सम्भवतः आज रात बर्लिन गैरिसन का गोला-बारूद चुक जायेगा। बंकर से निकल भागने (Break Out) की व्यवस्था करने के लिए वे अनुमति माँगते हैं। हिटलर पहले यह प्रस्ताव ठुकरा चुके हैं। आज भी वे कोई जवाब नहीं देते। वेडलिंग अपने मुख्यालय बेंडलर ब्लॉक लौट जाते हैं। वहाँ उन्हें दोपहर 13:00 बजे हिटलर की अनुमति प्राप्त होती है कि आज रात वे ब्रेकआउट का प्रयास कर सकते हैं।

खाना खाकर हिटलर और ईवा 14:30 पर अध्ययन कक्ष में जाते हैं। 15:30 पर गोली चलने का धमाका सुनाई देता है। कुछ मिनटों बाद देखा जाता है- हिटलर ने अपने वाल्थर पीपीके 7.65 एमएम पिस्तौल से अपनी दाहिनी कनपटी पर गोली दागकर आत्महत्या कर ली है। ईवा भी जहर पीकर आत्महत्या कर चुकी है। उनके आदेश के अनुसार उनके सैनिक दोनों शवों को बंकर के बाहर लाकर पेट्रोल छिड़क कर जला देते हैं। 

साढ़े सात घण्टे बाद 23:00 बजे सोवियत सैनिक चांसलरी को खंगाल रहे होते हैं। हिटलर के जले हुए शरीर को भी सोवियत सैनिक अपने कब्जे में लेते हैं।

2 मई।

बर्लिन का पतन होता है। बर्लिन पर कब्जे की लड़ाई में लाल सेना ने 78,291 सैनिक खोये हैं, जबकि 2,74,184 घायल हुए हैं।

7 मई।

जर्मनी बिना शर्त आत्म-समर्पण करता है।

8 मई।

विजय दिवस की घोषणा की जाती है।

हिटलर के शव का क्या हुआ- इसके बारे में कई तरह की बातें कही जाती हैं। एक जानकारी के अनुसार मैगडेबर्ग (पूर्वी जर्मनी) के परेड ग्राउण्ड में उनके शव को दफनाया गया था, जहाँ से 1970 में निकालकर शव को या तो कहीं और दफनाया गया, या फिर, बहा दिया गया। वास्तव में उनकी कब्र अब तक अज्ञात ही है। हिटलर के जबड़े आज मास्को में किसी गोपनीय दराज में रखे हैं या नहीं- यह जानकारी भी पक्की नहीं है। ‘हिटलर की खोपड़ी का एक टुकड़ा’ फोरेंसिक जाँच में जाली साबित हो चुका है।

इसीलिए यह भी अफवाह है कि हिटलर बर्लिन से निकल भागने में कामयाब हो गये थे। बाद में चेहरे की प्लास्टिक सर्जरी करवाकर वे दक्षिण अमेरीका में रह रहे थे।

खैर, यूरोप में द्वितीय विश्वयुद्ध का अन्त होता है और... अब एशिया में टोक्यो के पतन की बारी है।

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युद्ध कितना वीभत्स होता है और युद्ध जब अपने चरम पर होता है, तब इन्सान के सर पर किस प्रकार खून सवार हो जाता है, इसका उदाहरण है एक सोवियत बैटरी कमाण्डर (1ली यूक्रेनियन फ्रण्ट) व्लादलेन एंकिश्किन की यह स्वीकारोक्ति:

मैं अब स्वीकार कर सकता हूँ, कि मैं एक ऐसी स्थिति में था, ऐसे पागलपन में था, कि मैं कहता था, ‘पूछताछ के लिए उन्हें यहाँ लेकर आओ’ और मैं एक चाकू लेता और उन्हें काट डालता। मैंने बहुतों को काटा। मैं सोचता था, ‘तुम मुझे मारना चाहते थे, अब तुम्हारी बारी है।’