4.2 जापान पर अणुबम

 

 

जापानी विश्वयुद्ध में नाजियों की तरह कोई जनसंहार नहीं चलाते हैं।

यूरोपीय तथा अमेरीकी एशियायियों से श्रेष्ठ हैं और इसलिए उन्हें एशिया पर शासन करने का अधिकार प्राप्त है- इस सिद्धान्त को वे चुनौती देते हैं और एशिया- एशियायियों के लिए का नारा देते हैं। फिलीपीन्स में अमेरीकी, इण्डो-चायना (वियेतनाम) में फ्रेंच और सिंगापुर-मलाया-स्याम-बर्मा-भारत में ब्रिटिश डटे हुए हैं। इनके खिलाफ युद्ध छेड़ने से पहली प्रत्येक जापानी सैनिक को एक-एक पर्चा देकर बाकायदे युद्ध का उद्देश्य समझाया जाता है। यूरोपीय-अमेरीकियों को हराकर जापानी इनकी श्रेष्ठता पर प्रश्नचिन्ह लगा देते हैं।

हाँ, कुछ कलंक जापानियों के माथे पर जरूर लगते हैं और वे हैं- कोरियाई युवकों का मजदूरों के रुप में तथा कोरियाई युवतियों का जापानी सैनिकों के मनोरंजन के लिए जबरन इस्तेमाल। (इन युवतियों को ‘आराम पहुँचाने वाली महिलाएँ’- ‘कम्फर्ट वूमन’ कहा गया।) अण्डमान पर भी कब्जे के बाद जापानी नौसैनिकों ने स्थानीय लोगों पर काफी जुल्म ढाये थे। कहा तो यहाँ तक जाता है कि अण्डमान की हर महिला जापानी सैनिकों के हवस का शिकार बनी थी। 

आम तौर पर माना जाता है कि विश्वयुद्ध में रोम और बर्लिन के पतन के बाद जापान ने आखिरी जापानी के जीवित रहने तक ब्रिटिश-अमेरीकियों से युद्ध जारी रखने का फैसला लिया है; मगर वास्तव ऐसा नहीं है। मई 1945 में ही जापान ने स्वीजरलैण्ड में कार्यरत अमेरीकी ओ.एस.एस. के माध्यम से अमेरीका के पास दो शर्तों पर आत्म-समर्पण का प्रस्ताव भेज दिया है।

वे शर्तें हैं: पहली- जापान के सम्राट के पद को बरकरार रखा जाय, और दूसरी- सम्राट हिरोहितो पर युद्धापराध का मुकदमा न चलाया जाय। इन शर्तों को अनुचित नहीं कहा जा सकता। कारण- जापानी राजवंश विश्व के प्राचीनतम राजवंशों में से एक है। 660 ईसा पूर्व से यह राजवंश कायम है और हिरोहितो 124वें सम्राट हैं। जापानियों के लिए उनके सम्राट सूर्य देवता आमातेरासु के अंश हैं। इतने पुराने राजवंश की रक्षा की जानी चाहिए। दूसरी बात, हिरोहितो का विश्वयुद्ध में कोई योगदान नहीं है। हिरोहितो अपना समय शतरंज खेलने तथा युद्ध सम्बन्धी किताबें पढ़ने में बिताते हैं। युद्ध की कमान प्रधानमंत्री सह युद्धमंत्री जेनरल हिदेकी तोजो के हाथों में है।

12 अप्रैल 1945 को अमेरीकी राष्ट्रपति फ्रैंकलिन डी. रूजवेल्ट के निधन के बाद उपराष्ट्रपति ट्रुमैन अभी अमेरीका के राष्ट्रपति हैं। वे जापान की इन शर्तों को मानने के लिए तैयार नहीं हैं। हालाँकि ट्रुमैन के सभी नागरिक व सैन्य सलाहकार –एक जेम्स बायर्नेस (James Byrnes) को छोड़कर- यही सलाह देते हैं कि जापान की शर्तों को मान लेते हुए उन्हें आत्मसमर्पण करने दिया जाय। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री विन्सटन चर्चिल और उनकी सैन्य कमान का नेतृत्व भी ट्रुमैन से यही अनुरोध करता है। मगर ट्रुमैन अकेले जेम्स बायर्नेस की बातों में हैं और 26 जुलाई 1945 को पोट्सडैम घोषणा में जापान को ‘बिना शर्त’ आत्मसमर्पण करने या गम्भीर परिणाम भुगतने की अन्तिम चेतावनी दे डालते हैं। (‘बिना शर्त आत्मसमर्पण’ की अवधारणा रूजवेल्ट की ही थी।)   

दरअसल, 16 जुलाई को न्यू मेक्सिको के अलामागोर्डो मरूस्थल के निकट अणुबम का सफल परीक्षण हो चुका है, और अब उसका इस्तेमाल देखने के लिए बायर्नेस और ट्रुमैन बेचैन हो रहे हैं। पोट्सडैम घोषणा से एक दिन पहले 25 जुलाई को ट्रुमैन गुप्त रुप से जापान पर अणुबम गिराने का आदेश दे चुके हैं। उनके आदेश के अनुसार पहला अणुबम जापान पर अगस्त में गिराया जाना है- जब वे पोट्सडैम से वापसी के रास्ते पर होंगे। 

प्रशान्त क्षेत्र के अमेरीकी कमाण्डिंग जेनरल मैक आर्थर को जानकारी दिये बिना- सीधे वाशिंगटन के आदेश पर- मेरियाना द्वीप समूह के अमेरीकी सैन्य अड्डे में पहले दो अणुबम पहुँचा दिये जाते हैं- इन्हें 6 और 9 अगस्त को गिराया जाना है। बाकी बम बाद में मेरियाना पहुँचेंगे। उनमें से तीसरे बम को अगस्त के तीसरे हफ्ते में गिराना है। इसके बाद सितम्बर में तीन और फिर अक्तूबर में तीन और बम गिराये जाने की योजना है।

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6 अगस्त 1945।

सुबह का मनोरम मौसम। मेरियाना द्वीप समूह के अमेरीकी सैन्य अड्डे से तीन अमेरीकी विमान गरजते हुए उड़ान भरते हैं। पहले बी-29 विमान ‘इनोला गे’ के चालक हैं- कर्नल पॉल टिबेट्स। इसी विमान में छुपा बैठा है- छोटा लड़का। दुनिया के पहले अणुबम को लिट्ल ब्वॉयका छद्म नाम दिया गया है। दूसरे विमान में वैज्ञानिकों का दल बैठा है- जो बम के असर का अध्ययन करेंगे- इस वक्त हिरोशिमा वासी उनके लिए ‘गिनीपिग’ के बराबर हैं। तीसरे विमान में छायाकार बैठे हैं।

हिरोशिमा में 8 बजकर 15 मिनट हो रहे हैं। कुछ ही क्षणों पहले एक अमेरीकी बी-29 विमान यहाँ से लौटकर गया है। ‘ऑल क्लियर’ का सायरन बज चुका है। सब कुछ सामान्य है। मजदूर काम में लगे हैं। छात्र-छात्राएँ नगर से कीमती सामानों को निकालकर बाहर खुले में जमा करने में व्यस्त हैं।

मात्र तीन विमानों को आते देख लोगों ने समझा- जासूसी विमान होंगे।

तीनों विमान नगर के ऊपर आते हैं।

‘लिट्ल ब्वॉय’ को पैराशूट से नीचे गिराया जाता है।

जमीन से 580 मीटर (1,900 फीट) ऊपर बम फूटता है।

मानों हजारों सूर्य एकसाथ चमक उठे हों।

लगभग 80,000 लोग कुछ समझने से पहले ही खाक हो जाते हैं- कोई सुरक्षित स्थान तक नहीं पहुँच पाता। (बाद के दिनों में हजारों और मरते हैं। रेडियोधर्मिता का असर तो दशकों तक रहता है और अपंग बच्चे पैदा होते हैं।)

हिरोशिमा नगर के 10 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में हर चीज बर्बाद हो जाती है।

विस्फोट से लगी आग तीन दिनों तक जलती रहती है।

9 अगस्त को यही सब कुछ नागासाकी नगर में दुहराया जाता है। इस दूसरे बम का छद्म नाम है- मोटा आदमी यानि फैट मैन। (यह प्लूटोनियम किस्म का बम है, जबकि पहला बम यूरेनियम किस्म का था।) इसे गिराया तो जाना था कोकुरा पर, पर वहाँ बादल छाये रहने के कारण पास के बन्दरगाह नगर नागासाकी को चुना जाता है। नगर में पहाड़ होने के कारण शहर का दो तिहाई हिस्सा बर्बादी से बच जाता है और पहले से शक्तिशाली बम होने के बावजूद, पहले से कम- 40,000 के करीब- लोग पलक झपते मरते हैं।

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14 अगस्त 1945 को जापान घुटने टेक देता है।

15 अगस्त की दोपहर को इसकी सूचना सम्राट हिरोहितो रेडियो पर अपने लोगों को देते हैं। यह पहला अवसर है, जब जापानी जनता रेडियो पर अपने सम्राट की आवाज सुन रही है।

इसी दिन मित्रराष्ट्र वाले विजय दिवस की घोषणा करते हैं।

2 सितम्बर को जापान द्वारा आत्मसमर्पण के कागजातों पर हस्ताक्षर करने के बाद द्वितीय विश्वयुद्ध आधिकारिक रुप से समाप्त होता है।

जेनरल तोजो पर युद्धापराध का मुकदमा चलता है और उन्हें फाँसी दे दी जाती है।

जापान के सम्राट के पद को बरकरार रखा जाता है और हिरोहितो पर युद्धापराध का मुकदमा नहीं चलाया जाता। हिरोहितो 1926 में गद्दी पर बैठे थे और 1989 में अपनी मृत्यु तक सम्राट बने रहते हैं।

यानि, जापान की शर्तें अमेरीका को पहले से ही मंजूर थीं। फिर अणुबम का प्रयोग क्यों?

दरअसल, अणुबम गिराकर अमेरीका एक तीर से चार निशाने साधने में सफल रहता है-

1.               1. बम की जाँच, कि यह काम करता भी है;

2.               2. ‘पर्ल-हार्बर’ का बदला;

3.               3.  दुनिया पर, खासकर सोवियत संघ पर धौंस, कि अमेरीका के पास सबसे खरनाक हथियार है; और

            4. अमेरीकी जनता को जवाब कि आपके टैक्स के पैसे जो बम बनाने में खर्च हुए थे, वे बेकार नहीं गए- विश्वयुद्ध को समाप्त करने में काम आये।