5.1.1 आखिर क्या हुआ होगा नेताजी का? (क्या नेताजी देश नहीं लौटे?) 

 

स्तालिन के समय में सोवियत संघ में नेताजी के ‘जिक्र’ पर प्रतिबन्ध था। वैसे भी, उन दिनों के सोवियत संघ के ‘लोहे के पर्दों’ (Iron Curtains) के बारे में भला कौन नहीं जानता!

हमने अब तक यह जान लिया है कि नेताजी 23 अगस्त 1945 से सोवियत संघ में थे और कुछ वर्षों तक याकुतस्क में रहे। इसके बाद क्या हुआ, यह वाकई एक रहस्य है।

आईये, एक-एक कर उन सभी विकल्पों/सम्भावनाओं पर यहाँ विचार करें कि आखिर नेताजी का क्या हुआ होगा!

सबसे पहले दो मुख्य सम्भावना:

1. नेताजी सोवियत संघ से भारत नहीं लौटे, और

2. नेताजी सोवियत संघ से भारत लौट आये

 

1ली सम्भावना पर विस्तृत चर्चा

अगर नेताजी भारत नहीं लौटे, तो उनके साथ क्या हुआ?

 

1.क) क्या स्तालिन ने नेताजी की हत्या करवा दी?

1948 तक स्तालिन कोशिश करते हैं कि नेताजी ससम्मान भारत लौट जायें, मगर भारत सरकार नेताजी को स्वीकार करने से मना कर देती है। इस पर हो सकता है कि कुछ समय बाद स्तालिन ने नेताजी की हत्या करवा दी हो। स्तालिन ने बहुतों की हत्या करवाई है। उनके लिए यह कोई बड़ी बात नहीं है। उन्हें जानने वाले उन्हें हिटलर से भी ज्यादा निर्दय और निष्ठुर बताते हैं।

 

1.ख) क्या नेताजी को ब्रिटेन को सौंप दिया गया?

इस विकल्प पर विचार करने के लिए हमें जरा पीछे चलना होगा। जर्मनी 1942 में लाल सेना के जेनरल वाल्शोव को युद्धबन्दी बनाता है। बाद में ये वाल्शोव जर्मनी में करीब दो लाख सैनिकों की एक सेना गठित करते हैं और लाल सेना के ही सैनिकों से सोवियत संघ में स्तालिन का तख्ता पलटने का आव्हान करते हैं। विश्वयुद्ध में जर्मनी की पराजय के बाद ये वाल्शोव ब्रिटिश सेना के हाथ लगते हैं। 1948 में वाल्शोव को उनके आदमियों सहित सोवियत संघ प्रत्यर्पित कर दिया जाता है और स्तालिन वाल्शोव तथा उनके ज्यादातर लोगों को मौत के घाट उतार देते हैं। क्या अपने दुश्मन वाल्शोव को पाने के लिए स्तालिन ने ब्रिटेन के साथ नेताजी का सौदा कर लिया?

 

1.ग) क्या बलूचिस्तान-ईरान सीमा पर नेताजी की हत्या की गयी?

पिछले विकल्प की अगली कड़ी। लॉर्ड माउण्टबेटन और वावेल नेताजी को ‘मौके पर मार देने’ के हिमायती हैं- बिना मुकदमा चलाये, बिना किसी प्रचार के। अतः अगर ब्रिटिश सैन्य अधिकारियों ने स्तालिन से नेताजी को (वाल्शोव के बदले) हासिल कर लिया, तो क्या उन अधिकारियों ने चुपचाप नेताजी की हत्या कर दी? ऐसी खबरें हैं कि कुछ लोगों ने 1948 में क्वेटा में नेताजी को देखा था- ब्रिटिश सैन्य अधिकारी उन्हें बन्दी बनाकर कार में बलूचिस्तान-ईरान सीमा के ‘नो-मेन्स लैण्ड’ की ओर ले जा रहे थे।

 

1.घ) क्या नेताजी साइबेरिया जेल में परिपक्व उम्र में मृत्यु को प्राप्त हुए?

ऐसा भी हो सकता है कि नेताजी ने परिपक्व उम्र में साइबेरिया के याकुत्स्क शहर की जेल की एक कोठरी में अपनी अन्तिम साँस ली हो। (नेताजी का जन्म 1897 में हुआ था- परिपक्व उम्र का अनुमान आप लगा सकते हैं।)

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एक तथ्य है, जिसे उपर्युक्त विकल्पों के खिलाफ खड़ा किया जा सकता है। इस पर किसी का ध्यान नहीं जाता। यह तथ्य है- नेताजी ने ‘खाली हाथ’ सोवियत संघ में प्रवेश नहीं किया था, बल्कि उनके साथ ‘बड़ी मात्रा में सोने की छड़ें और सोने के आभूषण’ थे। (नेहरूजी को सन्देश भेजने वाले सूत्र के कथन को याद कीजिये- ‘...उनके साथ बड़ी मात्रा में सोने की छड़ें और गहने थे...’। ऐसे भी, सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है कि ‘आजाद हिन्द बैंक’ का सोना तीन-चार ट्रंकों में तो रखा ही होगा और उनमें से एक ट्रंक नेताजी के साथ ही सोवियत संघ तक गया होगा।)

इस एक ट्रंक सोने के बदले में- अनुमान लगाया जा सकता है कि- सोवियत संघ में न तो नेताजी हत्या हुई होगी; न उन्हें ब्रिटेन के हाथों सौंपा गया होगा, और न ही उन्होंने अपना सारा जीवन साइबेरिया की जेल में बिताया होगा।

उन्होंने भारत आना चाहा होगा और रूसियों को इसपर कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए।