तारीख- 17 जनवरी, 1941।

समय- 01:30 बजे। (16-17 जनवरी की मध्यरात्रि)

स्थान- एल्गिन रोड, कोलकाता का एक दुमंजिला मकान।

कहीं से खाँसने की आवाज आती है और इसी के साथ मानो इंतजार कर रहे तीन लोग दबे पाँव सक्रिय हो जाते हैं।

खाँसी की आवाज एक संकेत है कि रास्ता साफ है।

एक युवक चुपके से गेट खोलता है।

दूसरा युवक जर्मन कार वाँडरर (नम्बर- बी.एल.ए. 7169) की ड्राइविंग सीट पर बैठकर इसे स्टार्ट करता है।

तीसरा युवक बन्द गले का कोट पहने एक दाढ़ी वाले पठान को दुमंजिले से उसके सामान सहित नीचे लाता है और कार की पिछली सीट पर बैठाता है।

कार गेट से बाहर निकल जाती है।

बाहर एल्गिन रोड तथा वुडबर्न रोड के चौराहे पर तैनात सी.आई.डी. वाले लकड़ी के कामचलाऊ तख्तों पर कम्बलों के बीच दुबककर निश्चिन्त आराम कर रहे होते हैं।

कार हावड़ा ब्रिज होते हुए जी.टी. रोड पर आती है और शीघ्र ही आसनसोल की ओर फर्राटे भरने लगती है।

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कार चलाने वाले युवक हैं- शिशिर कुमार बोस, घर में उनके जिन दो चचेरे भाईयों ने मदद की, वे थे- द्विजेन्द्र और ऑरोविन्दो बोस।

कार की पिछली सीट पर बैठे हैं- इन तीनों के चाचा, एक इंश्योरेन्स कम्पनी के ट्रैवेलिंग इंस्पेक्टर पठान जियाउद्दीन की वेशभूषा में- नेताजी सुभाष चन्द्र बोस।